मखाना क्या है? कैसे बनता है, फायदे, खेती और कीमत की पूरी जानकारी

दोस्तों मखाने के बारे मे आपने जरूर सुना होगा लेकिन क्या आप जानते है मखाना क्या होता है? कहाँ पाया जाता है? इसकी खेती कैसे की जाती है? और इसके खाने के क्या लाभ है? यदि आपको नहीं पता तो चिंता मत कीजिये इस आर्टिकल मे हम आपको इसके बारे मे डीटेल मे बताने जा रहे हैं।

मखाना जो की एक पोषण से भरा हुआ तरह का सुपर फूड होता है जिसे बेहद ही कठिन प्रोसेसिंग के दौरान उगाया और तैयार किया जाता है। यह भारत के कुछ ही हिस्सों मे पैदा किया जाता है जिसके कारण इसकी डिमांड भी काफी ज्यादा है लेकिन इसकी कई ऐसी खास बात है जो इसे एक स्वादिष्ट और सेहतमंद फूड के रूप मे काफी पसंद किया जाता है तो चलिये इसके बारे मे डीटेल मे समझते हैं।

makhana kya hai

मखाना क्या होता है?

मखाना, जिसे ‘फॉक्स नट’ (Fox Nuts) या लावा भी कहा जाता है, सफ़ेद रंग का गोलाकार, हल्का एक पौष्टिक खाद्य पदार्थ है। जिसे विभिन्न तरीके से खाने के इस्तेमाल मे लिया जाता है। मखाने की पैदावार बिहार राज्य के कई जिलों मे मुख्य रूप से होती है। मखाने की खेती जमीन पर नहीं होती है बल्कि इसे तालाब मे पैदा किया जाता है और कई अलग अलग प्रोसैस से गुजरने के बाद हमे शुद्ध रूप मे मखाने प्राप्त होते है।

तालाब मे यह मुख्य रूप से तालाबों और स्थिर जल स्रोतों में उगता है। मखाना अपने उच्च पोषण मूल्य और स्वास्थ्य लाभों के कारण एक सुपरफूड माना जाता है। मखाने में प्रोटीन, कार्बोहाईड्रेट, नमी, वसा, खनिज लवण, फॉस्फोरस एवं आयरन मौजूद होता है। इसके अलावा मखाना में पोटैशियम और मैग्नीशियम भी पाया जाता है जिसके कारण रक्तचाप नियंत्रित रहता है। इतने सारे खास गुणों के साथ इसे सुपर फूड का दर्जा मिला है। इसे अलग अलग प्रकार से बनाकर खाया जाता है जो स्वादिष्ट होने के साथ साथ लाभकारी भी होता है।

मखाना जो हमे मार्केट मे मिलता है वह इसलिए भी महंगा होता है क्योंकि इसकी उत्पादकता काफी कम है और काफी कठिन प्रोसैस से होकर इसे प्राप्त किया जाता है। कुछ लोगों का मानना है मखाना कमल के बीजों के माध्यम से प्राप्त होने वाला एक पौष्टिक खाद्य पदार्थ है जिसे अलग अलग प्रकार से खाने के उपयोग मे लाया जाता है। लेकिन यह कमल का फूल गहरे बैगनी रंग का होता है और इसका मखाने का फूल गहरे बैगनी रंग का होता है। तो चलिए जानते हैं आखिर कैसे मखाने का उत्पादन होता है।

मखाने की खेती कैसे होती है?

कई लोगों को इसके बारे मे बिलकुल भी जानकारी नहीं होती है की मखाने की खेती किस तरह की जाती है तो आपको बता दें मखाने की खेती जमीन पर नहीं बल्कि पानी मे होती है जी हां यह तालाब या जलाशय मे पैदा होता है और यह एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जिसे काफी कठिन प्रोसैस के बाद प्राप्त किया जाता है।

1. जलभराव वाले क्षेत्र या तालाब का चयन: मखाने की खेती स्थिर जल वाले क्षेत्रों में की जाती है, जिनमें 4-6 फीट गहरा पानी होता है। जैसा की आप जानते हैं किसी भी तालाब मे कई तरह के जलीय पौधे जैसे जलकुंभी आदि पनप जाते है जो तालाब की सारी जगह को घेर लेते हैं। इसलिए जब मखाने को बोने की तैयारी की जाती है तो सबसे पहले पूरे तालाब को अच्छी तरह से साफ किया जाता है। इसके अंदर से सभी जलीय पौधे आदि की जड़ों को तालाब से हटा दिया जाता है।

2. बीज बोना: मखाने के बीजों को दिसंबर और जनवरी माह में पानी में डाला जाता है, बीज बोने के लिए पहले से मौजूद मखाने के बीजों को किसान भाइयों द्वारा पूरे तालाब मे डाला जाता है, जैसे खेतों मे फसल को बोते समय बीज को डाला जाता है ठीक उसी प्रकार से। इसके बीज गहरे काले रंग के होते हैं जिसे पूरे तालाब मे छीटा जाता है। और इसके बाद इसे छोड़ दिया जाता है। इस समय तक तालाब मे 2 से 3 फीट तक पानी होता है। बुवाई के लगभग एक महीने के बाद जनवरी फरवरी मे बीज अंकुरित हो जाते हैं और छोटे छोटे पत्ते दिखाई देते हैं। और अप्रेल व मई महीने याने गर्मियों के आने तक पूरा तालाब इसके पत्तों से ढँक जाता है। मखाने का पौधा पूरी तरह से विकसित होने के बाद इसकी जड़ें गहरी हो जाती है और तालाब के तले तक पहुँच जाती है।

3. फूल और बीज उत्पादन: मई-जून में जब इसके पौधे अच्छी तरह से परिपक्व हो जाते हैं तो पौधों में फूल आते हैं और फिर बीज बनते हैं, जो जल सतह पर तैरने लगते हैं। मखाने के फूल बैगनी रंग का होता है और कमल के फूल की तरह काफी खूबसूरत भी लगता है। इसके बाद इसमे फल भी आना शुरू हो जाते हैं इसके फल स्पंजि होते है साथ ही इसमे कांटे भी होते है। इस फल के अंदर एक फल मे लगभग 100 से 180 बीज होते हैं और इसी बीज को आगे चलकर मखाने के रूप मे इस्तेमाल किया जाता है।

4. फलों का पककर गिरना: जुलाई-अगस्त के महीने मे इसके फल पूरी तरह से पक जाते हैं और फल के कवर रंगीन से सफ़ेद हो जाते है और फल फटने लगता है जिसके बाद फल के अंदर के बीज निकल कर पानी मे गिर जाता है और इसके कुछ समय बाद मखाने के पत्ते भी गलकर पानी मे तैरने लगते हैं।

5. तालाब की सफाई व बीजों को निकालना: इसके बाद किसान भाई गले हुये पत्तों को तालाब से पूरी तरह से साफ करते हैं और नीचे तलहटी मे बैठे बीजों को बाहर निकलते हैं। बीज को बाहर निकालने की प्रक्रिया भी काफी कठिन और मेहनत से भरी होती है इसके लिए किसान बांस और लकड़ी से बनी एक जाली, चलनी नुमा रोकरी, या गाँज का इस्तेमाल करते हुये बीजों को पानी से बाहर निकालकर इकट्ठा करते हैं।

6. बीज की सफाई: बीज को बाहर निकालने के बाद इसे एक स्थान पर इकट्ठा करने के बाद इसे अच्छी तरह से पैरों से कुचलकर साफ किया जाता है, जिससे इसके ऊपर का कवच ढीला होकर निकल जाता है इसके बाद इसे पानी से अच्छी तरह से साफ कर लिया जाता है और इसके बाद इस कच्चे मखाने को अगली प्रोसैस के लिए आगे भेज दिया जाता है।

7. मखाने को तैयार करना: अब अगले चरण मे मखाने के बीज को अच्छी तरह से धूप मे सूखा लिया जाता है। इसके बाद बीजों को चलनी की मदद से प्रोसैस किया जाता है जिससे बीजों से अलग अलग आकार के बीज को अलग किया जा सके और अच्छी क्वालिटी के बीजों को अलग किया जा सके। इसके बाद इन साफ हो चुके बीजों को पुनः धूप मे सुखाया जाता है जिससे इसका रंग गहरे लाल रंग का हो जाता है।

8. बीज की भुनाई: अब धूप मे अच्छी तरह लाल हो चुके और सुख चुके बीजों को मिट्टी के बर्तन मे बिना बालू के अच्छी तरह से भुना जाता है। अच्छी तरह से इस काम को करने के बाद इसे किसी छायादार स्थान पर टोकरियों मे भरकर रख दिया जाता है।

9. मखाने को निकालना: इसके बाद फिर इन मखाने के बीजों मिट्टी की कढ़ाई मे भुना जाता है और इसके बाद इसे लोहे की कढ़ाई मे बुना जाता है और जब इसे लोहे की कढ़ाई मे भुना जाता है तो इससे फटने की आवाज होने लगती है और तब से लकड़ी के हथोड़े नुमा दिखने वाले वस्तु जिसे थापी कहा जाता है उस से पीटा जाता है जिससे इसका ऊपर का कवच अलग हो जाता है और काफी गरम होने के कारण यह लावा छिटककर बाहर निकल जाता है और इसे ही हम मखाने के रूप से जानते हैं।

10. पोलिशिंग और पैकेजिंग: मखाना निकलने के बाद इसे और बेहतर बनाने के लिए एक मशीन मे डालकर साफ किया जाता है, जिससे इसमे बचे हुये अन्य छिलकों को निकाल दिया जाये और इस मशीन से निकालने वाला लावा या मखाना एकदम दूधिया रंग का सफ़ेद मखाना होता है जिसे आखिरी प्रोसैस के रूप मे पैक किया जाता है और मार्केट मे सेल के लिए भेज दिया जाता है।

भारत में मखाने की खेती कहां होती है?

भारत में मखाने की खेती मुख्य रूप से बिहार, असम, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में की जाती है। लेकिन भारत मे होने वाली कुल खेती का 80 से 90 प्रतिशत खेती तो केवल बिहार मे होती है। इसलिए खासतौर पर बिहार को मखाने का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य माना जाता है, बिहार राज्य के कुछ प्रमुख जिले हैं जहां मखाने की अच्छी पैदावार होती है जिसमे मिथिला के दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सहरसा, सुपौल, सीतामढ़ी, पूर्णिया, कटिहार आदि जिले शामिल है जहां मखाने का उत्पादन किया जाता है। में मखाना का सार्वाधिक उत्पादन होता है।

मखाना किन-किन कामों में आता है?

Prickly Water Lily (मखाना) एक बेहद ही उपयोगी और स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ है जिसका विभिन्न उपयोगों में काम आता है, जैसे:

आयुर्वेदिक चिकित्सा: इसे पाचन सुधारने, वात-पित्त दोष संतुलित करने और कमजोरी दूर करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
पोषण आहार: यह व्रत और डायटिंग करने वालों के लिए हल्का और पौष्टिक नाश्ता है।
ड्राई फ्रूट के रूप में सेवन: इसे रोस्ट करके नमक या मसालों के साथ स्नैक के रूप में खाया जाता है।
दूध और मिठाई में उपयोग: मखाने को खीर, हलवा और अन्य पारंपरिक मिठाइयों में डाला जाता है।
फार्मास्युटिकल उपयोग: इसे हर्बल और हेल्थ सप्लीमेंट्स में भी शामिल किया जाता है।

1 दिन में कितने मखाने खा सकते हैं?

देखा जाये तो मखाना कमल के फल के अंदर मौजूद बीज होता है जो गोल आकार का होता है और इसे एक दिन मे 5 से 6 पीस खा सकते हैं यह स्वादिष्ट और लाभकारी होता है। इसके खाने के कई अलग अलग तरीके होते हैं आप अपनी इच्छा के अनुसार इसे बनाकर खा सकते हैं।

आइये समझते हैं आखिर मखाने की पैदावार कैसे होती है या इसकी खेती कैसे होती है।

मखाने इतने महंगे क्यों होते हैं?

मखाना महंगा होने के पीछे कई कारण हैं:

जैसा की उपरोक्त जानकारी मे हमने देखा की मखाने की खेती करने मे कई अलग अलग प्रोसैस को करने के बाद मखाने की प्राप्ति होती है और इसके उत्पादन मे कई लोगों की मेहनत लगती है और चूंकि इसकी खेती कुछ लिमिटेड क्षेत्र मे होती है इसके लिए इसके उत्पादन मे काफी कमी भी देखने को मिलती है और इसके पौष्टिक गुणों के कारण इसकी डिमांड भी काफी ज्यादा है इसलिए मखाना मार्केट मे काफी महंगा बिकता है।

मखाने के फायदे (स्वास्थ्य लाभ)

पाचन में सुधार करता है – इसमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो पाचन को बेहतर बनाता है।
वजन कम करने में सहायक – यह लो-कैलोरी और हाई-प्रोटीन स्नैक है, जो वजन घटाने में मदद करता है।
हृदय के लिए लाभदायक – इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट और मैग्नीशियम होते हैं, जो हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं।
मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद – इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिससे यह ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने में मदद करता है।
एंटी-एजिंग गुण – इसमें फ्लेवोनॉइड्स और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो झुर्रियों को कम करके त्वचा को जवां बनाए रखते हैं।
हड्डियों को मजबूत बनाता है – मखाने में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है, जिससे हड्डियों की मजबूती बढ़ती है।
तनाव और अनिद्रा को कम करता है – इसमें सेरोटोनिन बढ़ाने वाले तत्व होते हैं, जो तनाव और चिंता को कम करने में सहायक होते हैं।

मखाने का सेवन कैसे करें?

मखाना उत्पादित होने के बाद मार्केट मे बिकने के लिए उपलब्ध होता है, मखाने के को कई अलग अलग तरीकों से बनाकर खाया जाता है। विभिन्न जगहों पर लोग इसे अलग अलग स्टाइल मे बनाकर खाते हैं लेकिन इसके कुछ पोपुलर तरीके है जिसका इस्तेमाल अक्सर खाने के लिए किया जाता है।

मखाने को अलग-अलग तरीकों से खाया जा सकता है:

भुना हुआ मखाना: घी या मक्खन में हल्का भूनकर नमक और मसालों के साथ सेवन करें।
मखाना की खीर: दूध में उबालकर शहद और ड्राई फ्रूट्स मिलाकर स्वादिष्ट खीर बनाई जा सकती है।
मखाना की सब्जी: इसे ग्रेवी वाली सब्जियों में डालकर एक अलग स्वाद दिया जा सकता है।
मखाना का आटा पाउडर: इसे पीसकर आटे या दूध में मिलाकर पोषण बढ़ाया जा सकता है।

निष्कर्ष

इस आर्टिकल मे दी गई जानकारी से आप समझ ही गए होंगे कि मखाना एक सुपरफूड है, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक लाभकारी है। लेकिन इसके बनकर तैयार होने मे काफी समय और मेहनत भी लगती है इस प्रोसैस को करने वाले किसान भाइयों को technical world hindi की ओर से दिल से सलाम और धन्यवाद जिनकी वजह से आज न केवल भारत बल्कि विदेशों मे भी मखाने को जाना जाता है और काफी पसंद किया जाता है। हमारे देश मे कई ऐसे लोग है जो मखाने को कई बार खाने के रूप मे यूज कर चुके हैं लेकिन उन्हे नहीं पता होता है की इसकी पैदावार कैसे होती है लेकिन सभी को यह जानकारी पता होना चाहिए इसलिए हमने इस आर्टिकल मे इसे बताने की कोशिश की है।

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